सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

नीतीश-लालू के बीच सीधी बहस हो--आडवाणी

हाजीपुर। पूर्व उपप्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने अमेरिका की तरह भारत में भी नेताओं के बीच सीधी बहस कराए जाने की वकालत करते हुए सोमवार को कहा कि अच्छा होता बिहार की जनता प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को एक ही मंच से सीधी बहस करते देखती।

पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया और वैशाली के हाजीपुर में अलग-अलग सभाओं को संबोधित करते हुए आडवाणी ने अमेरिका की तर्ज पर चुनाव के दौरान देश में भी नेताओं के बीच सीधी बहस कराए जाने की वकालत करते हुए कहा कि अच्छा होता बिहार की जनता प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद को एक ही मंच से सीधी बहस करते देखती।

आडवाणी ने कहा कि अगर लालू को नीतीश के साथ बहस करने से संकोच हो तो भाजपा सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद के साथ सीधी बहस कर सकते हैं।

आडवाणी ने टीवी पर निक्सन एवं कैनेडी की सीधी बहस का जिक्र करते हुए कहा कि जिस प्रकार से अमेरिका में टीवी पर वहां के नेताओं के बीच सीधी बहस होती है कितना अच्छा होता अगर उसी प्रकार से यहां भी होने लगे।

टीवी समाचार चैनलों की बढ़ती संख्या पर खुशी जताते हुए आडवाणी ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय उम्मीदवारों के बीच भी एक मंच पर आमने सामने की सीधी बहस होनी चाहिए थी।

लोकतंत्र में चुनावी सभाओं के स्वरूप में बदलाव की आवश्यकता जताते हुए आडवाणी ने कहा कि देश का संविधान बनने के बाद वर्ष 1952 में पहला चुनाव हुआ उसके बाद से लेकर अगले चार चुनावों तक लोकसभा और देश के सभी विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ होते रहे। लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि निर्धारित अवधि के अनुसार 1972 में लोकसभा के चुनाव होने थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में ही लोकसभा को भंग कर चुनाव करवा दिए, जिसके बाद से लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग होने लगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा संविधान की धारा 356 का केंद्र द्वारा बार बार दुरुपयोग करते हुए कई प्रदेशों की सरकारों को भंग किया जाता रहा।

आडवाणी ने कहा कि धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आ गई है कि कभी लोकसभा का चुनाव होता है तो कभी विधानसभाओं का और पूरे समय देश की जनता चुनाव में लगी रहती है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न तो राजनीति, प्रशासन के दृष्टिकोण से और न ही मतदाताओं के लिए। आडवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री से कुछ दिन पहले उनकी जो मुलाकात हुई थी उसमें उन्होंने उनसे कहा था कि देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ होने चाहिएं।

लोगों से भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान राजग सरकार को पांच साल मौका दिए जाने की दुहाई देकर अगर लालू जी लोगों से वोट मांगते हैं तो राजग के नेता उनसे सीधे तौर पर यह कह सकते हैं कि आपको जनता ने 15 साल का मौका दिया और उसके बाद सत्ता से बेदखल क्यों कर दिया।

आडवाणी ने आरोप लगाया कि यहां की पिछली सरकार के बारे में उन्हें अक्सर यह सुनने को मिला कि उसके शासनकाल में अपहरण एक व्यवसाय बन गया था और उसमें तत्कालीन सरकार स्वयं भागीदार बनी हुई थी। उन्होंने कहा कि जब से यहां नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी के नेतृत्व में राजग की सरकार सत्ता में आई तब से इस पर रोक लगी। उन्होंने कहा कि अंग्रेज जब देश छोड़कर गए थे तो बिहार की यह स्थिति नहीं थी और यह प्रदेश प्रशासनिक दृष्टिकोण से सबसे बढि़या राज्य माना जाता था पर धीरे-धीरे यहां अपराध बढ़ता गया और इसमें उस समय और भी वृद्धि हुई जब विभिन्न पार्टियों ने अपराधी छवि वाले लोगों को चुनाव मैदान में उतारकर विधानसभा भेजना शुरू कर दिया।

आडवाणी ने राज्य की जनता का आह्वान किया कि वह 21वीं शताब्दी को भारत की शताब्दी बनाने का संकल्प लें और बिहार के विकास और बेहतर शासन के लिए राज्य में अगली सरकार राजग की बनाएं।

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