पूर्णिया सदर के भाजपा विधायक राजकिशोर केशरी हत्याकांड में पत्रकार नवलेश पाठक की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जिस प्रकार उसकी गिरफ्तारी हुई उसने कई सवालों का जन्म दिया है।
मामले पर गौर करें तो दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि विधायक ने चाकू लगने के बाद रास्ते में अपने भतीजे को बताया था कि उन्होंने नवलेश को गाड़ी से भागते हुए देखा। यदि दर्ज प्राथमिकी को ही आधार माना जाय तो पुलिस घटना के समय नवलेश पाठक के मोबाइल का टावर लोकेशन से उसकी वास्तविक स्थिति जान सकती थी। इस मामले में दूसरा पेंच यह है विधायक के बयान को लेकर भी है। चिकित्सकों की राय में एबडोमिनल अरोटा नस के कटने के बाद कोई भी व्यक्ति पांच से सात मिनट जिंदा रह सकता है। यदि विधायक का एबडोमिनल अरोटा नस कट गया था तो क्या वो इतनी बात कहने की स्थिति में थे। यदि नवलेश ने ही रूपम पाठक को उकसा कर विधायक के आवास तक छोड़ा तो पुलिस ने गिरफ्तारी में इतनी विलंब क्यों की। पुलिस के अनुसार नवलेश विधायक और रूपम दोनों से ही लगातार बात करता रहा था। यहां यह सवाल उठता है कि क्या पत्रकार का किसी विधायक और किसी पीड़ित से बात करना साजिश और अपराध है। ऐसे कई सवाल हैं जो आम लोगों के जेहन में कौंध रहे हैं।
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