रविवार, 26 सितंबर 2010

चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष की उम्मीद

बिहार विधानसभा चुनाव से संबंधित महीने भर चलने वाला अभियान सोमवार से शुरू होगा, जिसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व में सत्तारूढ़ जद यू-भाजपा गठबंधन, राजद-लोजपा गठबंधन और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की उम्मीद की जा रही है।

इस वर्ष यह पहला विधान सभा चुनाव है और चुनाव आयोग कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है। क्योंकि राज्य के कई जिले नक्सल प्रभावित हैं। राज्य के राज्यपाल देवआनंद कुंवर ने शनिवार को विधानसभा चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना जारी की। राज्य में 243 सदस्यीय विधानसभा में 5.50 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इस विधानसभा का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। राज्य में 243 सीटों के लिए छह चरणों में चुनाव होंगे और यह 21, 24 और 28 अक्टूबर के साथ एक, नौ और 20 नवंबर को होंगे। बिहार के 33 जिलों में 47 सीटें माओवाद प्रभावित हैं।

चुनाव आयोग ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय अ‌र्द्धसैनिक तैनात करने का निर्णय किया है। राज्य में 38 जिले हैं। राज्य में 24 नवंबर को मतगणना होगी। बिहार विधानसभा चुनाव के साथ राज्य में बांका लोकसभा सीट पर भी एक नवंबर को उपचुनाव हो रहे हैं, जो वर्तमान सांसद दिग्विजय सिंह के निधन के कारण रिक्त है। राज्य में चुनाव के त्रिकोणीय होने की संभावना है, जहां सत्ताधारी जद यू और भाजपा का गठबंधन जारी है, जबकि इस गठबंधन को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए राजद के लालू प्रसाद ने लोजपा के रामविलास पासवान से हाथ मिलाया है। कांग्रेस ने राज्य में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि पूर्व में वह राजद की कनिष्ठ सहयोगी की भूमिका में रहती थी। अंतिम क्षणों में रूकावटों को दूर करते हुए राजद और लोजपा के बीच गठजोड़ हुआ और यह तय किया गया कि राजद 168 सीटों पर और लोजपा 75 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि वह पहले ही विधान परिषद के सदस्य हैं। राजद-लोजपा गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालू प्रसाद भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस ने किसी को मुख्यमंत्री के रूप में पेश नहीं किया है। बहरहाल, विभिन्न खेमों में उम्मीदवार के चयन को लेकर जोरदार गतिविधियां चल रही हैं। हाल ही में चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए राज्य के दौरे पर गए मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने राज्य में स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सम्पन्न कराने की व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया था।

नीतीश शासनकाल में अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर बिहार बुलाए गए भारतीय प्रशासनिक सेवा [आईएएस] और भारतीय पुलिस सेवा [आईपीएस] अधिकारियों को 'फील्ड पोस्टिंग' से हटाने की विपक्षी दलों की मांग के बीच चुनाव आयोग ने साफ किया है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ मिली शिकायतें सही पाए जाने पर ही उन्हें हटाया जाएगा। बिहार के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी कुमार अंशुमाली ने बताया कि अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर आए, जो प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी जिलों या प्रमंडलों में पदस्थापित हैं, उन्हें तभी हटाया जाएगा जब उनके खिलाफ मिली शिकायत को सही पाया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य के विपक्षी दल आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश शासनकाल में दूसरे राज्यों से बुलाए गए नौकरशाहों को 'फील्ड पोस्टिंग' से हटाने की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्त पर बुलाए गए आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को जिलों और प्रमंडलों में तैनात कर नीतीश सरकार उनसे अपने पक्ष में काम कराना चाहती है।

दिल्ली में चुनाव आयोग के सूत्रों ने भी कुमार अंशुमाली के बयान की यह कह कर पुष्टि की 'भारत निर्वाचन आयोग का स्पष्ट मत है कि अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर बिहार के जिलों और प्रमंडलों में तैनात अधिकारियों को उनके खिलाफ किसी तरह की शिकायत सही पाए जाने पर ही हटाया जाएगा।

बीते मंगलवार को बिहार में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी कहा था कि इन अधिकारियों को हटाया तो नहीं जाएगा, लेकिन उन पर आयोग की 'पैनी नजर' जरूर रहेगी। फिलहाल बिहार में चार आईपीएस अधिकारी ऐसे हैं जो दूसरे कैडर है, लेकिन नीतीश सरकार उन्हें अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर बिहार लेकर आई है। इनमें तीन पुलिस उप-महानिरीक्षक [डीआईजी] जबकि एक पुलिस अधीक्षक [एसपी] स्तर के अधिकारी हैं।

विपक्षी दल जिन अधिकारियों को हटाने की मांग कर रहे हैं, उनमें बेतिया रेंज के डीआईजी उमेश कुमार सबसे ऊपर हैं। कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी उमेश भाजपा के वरिष्ठ नेता गंगा प्रसाद के दामाद हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्वी चंपारण के एसपी रहे उमेश पर चुनाव क्षेत्र में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल [सीआरपीएफ] की तैनाती नहीं करने का आरोप लगाया गया था। सिक्किम कैडर के विनीत विनायक और झारखंड कैडर के पंकज दाराद 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। विनीत अभी सेंट्रल रेंज, जबकि पंकज मुजफ्फरपुर रेंज के डीआईजी हैं। नगालैंड कैडर के एक आईपीएस अधिकारी अभी जमालपुर में रेल एसपी के पद पर तैनात हैं। इसी तरह, नगालैंड कैडर के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी अभिजीत सिन्हा मुंगेर के जिलाधिकारी हैं, जबकि त्रिपुरा कैडर के 1995 बैच के आईएएस जितेंद्र कुमार सिन्हा अभी पटना के जिलाधिकारी हैं। असम कैडर के 1996 बैच के आईएएस अधिकारी विनोद कुमार अररिया के जिलाधिकारी पद पर हैं। वैशाली के जिलाधिकारी मिन्हाज आलम केरल कैडर, जबकि गया के जिलाधिकारी उड़ीसा कैडर के आईएएस हैं। तमिलनाडु कैडर के आईएएस देव राज देव अभी पश्चिमी चंपारण के जिलाधिकारी पद पर हैं।

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