रविवार, 26 सितंबर 2010

55 किलोमीटर की यात्रा चार घंटे में

सोनपुर रेलमंडल के हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड पर महज 55 किलोमीटर की दूरी तय करने में यात्री गाड़ियों को लगता है चार घंटे का समय। इस हालात को लेकर यात्री परेशान है लेकिन रेल अधिकारी ने इस बात को लेकर कुछ खास चिंतित नहीं दिखते है।

मालूम हो कि हाजीपुर-मुजफ्फरपुर की दूरी मात्र 55 किलोमीटर है। इतनी ही दूरी तय करने में यात्री सवारी गाड़ी को चार घंटे का समय लगता है। यात्री एक घंटे में पौने चौदह किलोमीटर की यात्रा कर पाता है। यदि आपको पटना से कोई एक्सप्रेस ट्रेन पकड़नी हो तो मुजफ्फरपुर जंक्शन से पैसेंजर ट्रेन न पकड़े। यही कारण है कि अधिकांश यात्री सड़क यात्रा ज्यादा पसंद करते है। सबसे बुरा हाल तो गाड़ी संख्या 520, एवं 521 का है। 520 हाजीपुर आने के बाद थावे के लिए रवाना होती है जबकि 521 इंटर सीटी ट्रेन के नाम से जानी जाती है। दोनों ट्रेनों को हमेशा गोरौल, भगवानपुर एवं सराय स्टेशनों पर घंटों-घंटों रोका जाता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जब तक उक्त रेलखंड का दोहरीकरण नहीं होता है तब तक पैसेंजर ट्रेने क्या एक्सप्रेस ट्रेनें भी विलंब से चलेगी। उक्त खंड पर द्रुतगामी ट्रेनों का अत्यधिक दबाव होने के कारण पैसेंजर गाड़ियां और अधिक विलंब से चलती है। इतना ही नहीं शाम ढ़लते ही भगवानपुर एवं सराय स्टेशन अंधकार में तब्दील हो जाता है। मालूम हो कि उक्त दोनों स्टेशन आय में अव्वल है परंतु सुविधाओं की कमी यात्रियों को रूला देती है। बड़े-बड़े जेनरेटर शाम होते चलने लगते है परंतु प्रकाश व्यवस्था के नाम पर व्यवस्था शून्य। पूरा प्लेटफार्म अंधेरा में डूबा रहता है। जिससे यात्रियों को ट्रेनों पर चढ़ने उतरने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा इन समस्याओं के निदान हेतु उच्चाधिकारियों तक गुहार लगायी गयी पर नतीजा कुछ नहीं निकला। मजे की बात है कि सराय स्टेशन पर तो रैक प्वाइंट है परंतु प्रकाश व्यवस्था, पानी, शौचालय सहित विभिन्न सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां तक कि माल ढ़कने के लिए न तिरपाल है और न ही शेड है। फलत: वर्षा होने पर माल ढकने की व्यवस्था व्यापारियों को करनी पड़ती है।

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