रविवार, 7 नवंबर 2010

झारखंड में सत्तर हजार लोगों को नौकरी

झारखंड में प्रशासन को पटरी पर लाने के लिए शीध्र ही विभिन्न विभागों में सत्तर हजार नई नियुक्तियाँ की जाएँगी।

झारखंड सरकार के मुख्य सचिव डॉ. अशोक कुमार सिंह ने एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि 15 नवम्बर 2000 में नए झारखंड राज्य के गठन के बाद यहाँ नए सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं बन सकी थी।
इसलिए पिछले दस वर्षों में राज्य में सुचारू रूप से सरकार चलाने के लिए सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों का टोटा ही पड़ गया।

सिंह ने कहा कि जब राज्य के विभिन्न विभागों में सरकार चलाने के लिए अधिकारी एवं कर्मचारी ही नहीं होंगें तो आखिर विभिन्न सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन कौन करेगा। इस कमी को दूर करने के लिए झारखंड में विभिन्न विभागों में एक साथ लगभग सत्तर हजार अधिकारियों तथा कर्मचारियों की शीध्र नियुक्ति की जाएगी।

डॉ. अशोककुमार सिंह ने बताया कि झारखंड में पुलिस विभाग में ही बीस हजार सिपाहियों एवं मध्यक्रम के अधिकारियों की भर्ती की जाएगी जबकि विभिन्न स्तरों पर लगभग बीस हजार अध्यापकों की भर्ती की जाएगी।

उन्होंने बताया कि राज्य पुलिस बल में सिपाहियों एवं अधिकारियों की कमी के चलते नक्सल विरोधी अभियान में भी कठिनाई आती है जिसे फिलहाल केन्द्रीय बलों की सहायता से दूर किया जाता है।

इसी प्रकार अध्यापकों की कमी के चलते विभिन्न सरकारी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्रों की शिक्षा का कार्य उचित ढंग से नहीं किया जा सका है।

सिंह ने बताया कि विभिन्न सरकारी विभागों एवं मंत्रालयों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी कठिनाई उठानी पड़ती है।

राज्य में विभिन्न मंत्रालयों में कुल तीस हजार से अधिक तृतीय श्रेणी एवं गजटेड अधिकारियों की कमी है। भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग में भी अधिकारियों की कमी है।

इस कमी को दूर करने के लिए अर्जुन मुंडा सरकार एक साथ तीस हजार से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों की एक मुश्त भर्ती की योजना बना रही है।

राज्य के विश्वविद्यालयों में लेक्चरर, रीडर एवं प्रोफेसर के भी कुल 700 से अधिक पद रिक्त हैं। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की कमी दूर करने की दिशा में राज्य सरकार शीध्र ही आवश्यक कदम उठाएगी।

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